जल प्रदूषण - Water Pollution
जैसा कि हम सभी जानते हैं आज विश्व की सबसे बड़ी परेशानी है प्रदूषण जिसमे जल वायु एवं मृदा प्रदुषण और उसमें भी सबसे बड़ी परेशानी जो है वहां है जल प्रदूषण (Water Pollution) यह प्रदूषण आज के इस बढ़ती जनसंख्या में परेशानी का सबक बना पड़ा है
जल प्रदूषण - Water Pollution
तो आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से वाटर पोलूशन के बारे में सारी जानकारी देखने वाले हैं और इसको किस तरह से कम किया जा सकता है और यह किन किन कारणों से बढ़ रहा है
जल प्रदूषण किसे कहते है
जल में अवांछनीय पदार्थों के मिलने से उत्पन्न जल में अशुद्धियों को जल प्रदूषण (Water Pollution) कहते हैं
अगर इस विषय को हम सामान्य शब्द में अगर समझे तो किसी भी शुद्ध जल में कोई ऐसी वस्तु मिल जाती है जिसकी वजह से वह जल या पानी जीव जंतुओं को पीने योग्य नहीं रहता है तो उस जल को हम प्रदूषित जल कहते हैं और जिस प्रक्रिया से वह प्रदूषण हुआ है उसे हम जल प्रदूषण कहते हैं
विश्व की औसत 6 में से एक व्यक्ति जल की इस समस्या से जूझ रहा है
लगभग 2050 तक विश्व की आधी आबादी पेयजल की इस समस्या से जूझ जाएगी जिस तरह से प्रदूषण बढ़ता जा रहा है आने वाली पीढ़ी को जल को देखना भी नसीब ना हो तो
आज हम Water Pollution किन कारणों से होता है और जल प्रदूषण को कैसे हम रोक सकते हैं सभी जानकारियां इस ब्लॉग के माध्यम से जानेंगे किस के मुख्य कारण क्या है और जल प्रदूषण को कैसे हम रोक सकते हैं
जल प्रदूषण के कारण
1. बढती जनसंक्या और बढती आबादी के कारण
आज के इस बढ़ती हुई आबादी या बढ़ती हुई जनसंख्या में Water Pollution को काफी बढ़ावा दिया है बढ़ती हुई जनसंख्या या बढ़ती हुई आबादी भी जल प्रदूषण का एक मुख्य कारण है
2. पेड़ पोधो की अंधाधुंध कटाई से
जिस तरह से हम देख रहे हैं वायु प्रदूषण दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है और वायु प्रदूषण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा काफी दिन ब दिन बढ़ रही है जिस से होने वाली सबसे बड़ी परेशानी है एक ग्लोबल वॉर्मिंग और इसी कारण से वर्षा नियमित रूप से नहीं हो पा रही है और वर्षा अगर नियमित रूप से नहीं होगी तो Water Pollution भी बढ़ेगा
जैसा कि हम सभी जानते हैं सभी प्रदूषण जैसे जल प्रदूषण वायु प्रदूषण मृदा प्रदूषण या फिर अन्य जितने भी प्रदूषण हैं सभी प्रदूषण एक ना एक कड़ी में जुड़े हुए हैं अगर हम इस चेन को तोड़ दे तो हम Water Pollution वायु प्रदूषण और मृदा प्रदूषण के साथ हैं कई सारे प्रदूषण को रोक सकते हैं
3. तीव्र औद्योगिकरण
जैसा कि हम सभी जानते हैं आज के इस युग में औद्योगिकरण काफी फैल गया है काफी बढ़ गया है जिसकी वजह से हमें जल की भी आवश्यकता काफी होती है इसका मुख्य कारण यह है कि जो औद्योगिकरण या उद्योगों में बिजली पहुंचती है वहां जल के द्वारा ही उत्पन्न की जाती है
जैसे कि हम उसको सामान्य शब्दों में अगर समझे तो हम सभी जानते हैं कि हमारे घरों में जो बिजली आती है वह जल के द्वारा बड़े-बड़े टरबाइन ओं को घुमा कर बनाई जाती है और उसने कई सारा शुद्ध जो जल होता है वह वास्तु के रूप में उड़ जाता है या फिर अशुद्ध भी हो जाता है
जैसे-जैसे औद्योगिकरण बढ़ता जा रहा है वैसे वैसे औद्योगिकरण में बिजली की भी आवश्यकता बढ़ती जा रही है और औद्योगीकरण से कई सारा अपशिष्ट होता है यह गंदगी जो होती है वह खुले में या 25 के नालों में या फिर पास की नदियों में या फिर उद्योगों के आसपास फेंक दी जाती है
जिसके कारण से वह बारिश के समय है या आम दिनों में उड़कर नदी या फिर तालाबों या शुद्ध जल के स्रोतों में पहुंच जाते हैं और उस शुद्ध जल को वह अशुद्ध कर देते हैं या कहे तो उसे दूषित कर देते हैं जिससे वह पानी पीने लायक नहीं रहता है और वह वाटर पोलूशन में तब्दील हो जाता है
यदि पेड़ों की कटाई होती है तो वहां की जो उपजाऊ भूमि है वह भी बंजर हो जाती क्योंकि उस भूमि को पकड़े रहने का या फिर उस उपजाऊ मिट्टी को पकड़े देने का कार्य पेड़ की जो छेड़े होती है वह करती हैं या बारिश के पानी से जो जमीन कटती है या उपजाऊ भूमि की जो मृदा है वह सिर्फ नदियों या नालों में चली जाती है
वह पेड़ की जोड़ों की वजह से या पेड़ की वजह से वहां पर टिकी रहती है और वह सालों साल उपजाऊ बनी रहती है पर अगर पेड़ कट जाते हैं तो वह भूमि उपजाऊ मृदा वहां से बारिश के समय कट कर चली जाएगी और वह मुरादाबाद में बंजर भूमि के रूप में हो जाएगी
तो इससे हम समझ गए हैं कि वनों की कटाई से कई सारे प्रदूषण होते हैं जिसमें मृदा प्रदूषण वायु प्रदूषण और जल प्रदूषण शामिल हैं
यदि हम Water Pollution को कम करना चाहते हैं तो हमें कई तरह के से उपाय को करना होगा और यह सभी उपाय सभी मिलकर करें तो यह प्रदूषण की सबसे बड़ी परेशानी से लड़ने में वेद आसानी होगी
जिससे उस जलाशय का पानी पीने योग्य नहीं रहता है और Water Pollution होता है अगर सरकार नियमित रूप से इन सभी सार्वजनिक स्थानों की सफाई पर और जल के प्रमुख स्त्रोत की सफाई पर ध्यान दे दे तो इस प्रदूषण की सबसे बड़ी परेशानी से निजात मिल सकती है
क्योंकि हम सभी जानते हैं यह रसायनिक पदार्थ जल में घुलनशील होते हैं तो यह जल के साथ वह कर शुद्ध जल के स्रोतों में मिल जाते हैं और उसकी बात वहां के वातावरण को प्रभावित करते हैं इसकी वजह से वहां के वातावरण में रहने वाले जीवो को बहुत नुकसान होता है और Water Pollution की वजह से वह पानी पीने योग्य नहीं होता है
पर अगर सरकार रासायनिक खादों के प्रयोग पर प्रतिबंध लगा दे तो इस बड़ी समस्या से निजात हमें मिल जाएगी और लोग अपने पुराने खाद्य जैसे वर्मी कंपोस्ट को भी डाल कर अपने भूमि को उपजाऊ बना पाएंगे
अगर हम प्रदूषण की समस्या से निजात पाना चाहते हैं तो हमको इस बात का सही तरीके से अनुमान होना चाहिए कि जो हमारे शहर से कचरा निकलता है उसको उस जगह पर एकत्रित किया जाए जहां पर आसपास कोई भी बस्ती ना हो या ना ही कोई शुद्ध जल का स्त्रोत जिससे वहां पर जाकर मिल सके
जैसे कि हम उसको सामान्य शब्दों में अगर समझे तो हम सभी जानते हैं कि हमारे घरों में जो बिजली आती है वह जल के द्वारा बड़े-बड़े टरबाइन ओं को घुमा कर बनाई जाती है और उसने कई सारा शुद्ध जो जल होता है वह वास्तु के रूप में उड़ जाता है या फिर अशुद्ध भी हो जाता है
जैसे-जैसे औद्योगिकरण बढ़ता जा रहा है वैसे वैसे औद्योगिकरण में बिजली की भी आवश्यकता बढ़ती जा रही है और औद्योगीकरण से कई सारा अपशिष्ट होता है यह गंदगी जो होती है वह खुले में या 25 के नालों में या फिर पास की नदियों में या फिर उद्योगों के आसपास फेंक दी जाती है
जिसके कारण से वह बारिश के समय है या आम दिनों में उड़कर नदी या फिर तालाबों या शुद्ध जल के स्रोतों में पहुंच जाते हैं और उस शुद्ध जल को वह अशुद्ध कर देते हैं या कहे तो उसे दूषित कर देते हैं जिससे वह पानी पीने लायक नहीं रहता है और वह वाटर पोलूशन में तब्दील हो जाता है
4. जंगलों या वनों की संख्या में कमी
हम सभी को पता है कि अगर जंगल या वन नहीं होंगे तो वर्षा नहीं होगी क्योंकि आज जिसे वनों की कटाई हो रही है अगर लोगों ने इस विषय पर विचार नहीं किया आने वाली जो पीढ़ी है या 2050 तक वनों की जो संख्या है वहां दो परसेंट से भी कम रहेगीवनों की कटाई से कैसे होता है जल प्रदूषण
जैसा कि हम सभी को पता है कि अगर वनों की कटाई होगी तो कई सारे प्रदूषण होंगे जिसे वन की कटाई से वातावरण में ऑक्सीजन की कमी आएगी और कार्बन डाइऑक्साइड की वृद्धि होगी और अगर कार्बन डाइऑक्साइड की वृद्धि होती है तो वहां पर वायु प्रदूषण होता है और वायु प्रदूषण अगर होता है तो Water Pollution भी होता है और अगर पेड़ों की कटाई होती हैंयदि पेड़ों की कटाई होती है तो वहां की जो उपजाऊ भूमि है वह भी बंजर हो जाती क्योंकि उस भूमि को पकड़े रहने का या फिर उस उपजाऊ मिट्टी को पकड़े देने का कार्य पेड़ की जो छेड़े होती है वह करती हैं या बारिश के पानी से जो जमीन कटती है या उपजाऊ भूमि की जो मृदा है वह सिर्फ नदियों या नालों में चली जाती है
वह पेड़ की जोड़ों की वजह से या पेड़ की वजह से वहां पर टिकी रहती है और वह सालों साल उपजाऊ बनी रहती है पर अगर पेड़ कट जाते हैं तो वह भूमि उपजाऊ मृदा वहां से बारिश के समय कट कर चली जाएगी और वह मुरादाबाद में बंजर भूमि के रूप में हो जाएगी
तो इससे हम समझ गए हैं कि वनों की कटाई से कई सारे प्रदूषण होते हैं जिसमें मृदा प्रदूषण वायु प्रदूषण और जल प्रदूषण शामिल हैं
5. जल संरक्षण के प्रति लोगों की अज्ञानता
यह बात को सभी जानते हैं जल हमारे लिए बहुत आवश्यक है पर लोगों को जल संरक्षण के प्रति कोई भी ज्ञान या उत्सुकता नहीं है जिसकी वजह से लोग जल का संरक्षण नहीं करते हैं अगर लोगों में जल संरक्षण के प्रति अज्ञानता बनी रहती है तो आने वाले समय में शुद्ध जल की बहुत ही कमी हो जाएगी और लोगों को पीने का पानी भी नहीं मिलेगाजल प्रदूषण को कम करने के उपाय
भारत में केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा जल प्रबंधन के लिए कहीं योजनाओं को लागू किया गया है पर उस सभी योजनाओं पर फिलहाल अब तक अमल पूर्ण तरीके से नहीं किया गया हैयदि हम Water Pollution को कम करना चाहते हैं तो हमें कई तरह के से उपाय को करना होगा और यह सभी उपाय सभी मिलकर करें तो यह प्रदूषण की सबसे बड़ी परेशानी से लड़ने में वेद आसानी होगी
1. सार्वजनिक जलाशय पर जल का उचित प्रबंधन
भारत के सभी राज्यों में सार्वजनिक जलाशयों का निर्माण सरकार के द्वारा किया तो गया है पर उन जलाशय का जल पीने लायक नहीं रहा है इसका मुख्य कारण यह है कि उसका उचित प्रबंधन जो होना चाहिए वह नहीं हो रहा हैजलाशयों की नियमित रूप से सफाई ना होना
हम सभी जानते हैं कि भारत में अगर कोई भी सार्वजनिक स्थान जो है उसकी सफाई का कार्य उस क्षेत्र की नगर पालिका या ग्राम पंचायत करती है पर वहां की जो ग्राम पंचायत या नगरपालिका होती है वह उस सार्वजनिक स्थान की सफाई या उस सार्वजनिक जलाशय की सफाई ना के बराबर करती है उसकी देखरेख भी नहीं होती हैजिससे उस जलाशय का पानी पीने योग्य नहीं रहता है और Water Pollution होता है अगर सरकार नियमित रूप से इन सभी सार्वजनिक स्थानों की सफाई पर और जल के प्रमुख स्त्रोत की सफाई पर ध्यान दे दे तो इस प्रदूषण की सबसे बड़ी परेशानी से निजात मिल सकती है
2. रासायनिक खादों के प्रयोग पर प्रतिबंध लगाकर
आज कोई भी किसान अपनी खेती को उपजाऊ बनाने के लिए वर्मी कंपोस्ट खाद का उपयोग नहीं करता है और वह रासायनिक खादों का प्रयोग अपनी भूमि की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए या फसल की पैदावार बढ़ाने के लिए कई प्रकार के रासायनिक खाद्य क्या केमिकल का प्रयोग करता हैक्योंकि हम सभी जानते हैं यह रसायनिक पदार्थ जल में घुलनशील होते हैं तो यह जल के साथ वह कर शुद्ध जल के स्रोतों में मिल जाते हैं और उसकी बात वहां के वातावरण को प्रभावित करते हैं इसकी वजह से वहां के वातावरण में रहने वाले जीवो को बहुत नुकसान होता है और Water Pollution की वजह से वह पानी पीने योग्य नहीं होता है
पर अगर सरकार रासायनिक खादों के प्रयोग पर प्रतिबंध लगा दे तो इस बड़ी समस्या से निजात हमें मिल जाएगी और लोग अपने पुराने खाद्य जैसे वर्मी कंपोस्ट को भी डाल कर अपने भूमि को उपजाऊ बना पाएंगे
3. शहरी कचरे का सही बंदोबस्त वह कचरे का निस्तारण
हम सभी को पता है कि शहर में बहुत अधिक संख्या में कचरा निकलता है और उस कचरे को एक जगह एकत्रित किया जाता है पर उस कचरे का सही बंदोबस्त या निस्तारण नहीं किया जाता है और वही कचरा आसपास के वातावरण में फैलता रहता है जिसकी वजह से वातावरण में मृदा प्रदूषण Water Pollution और वायु प्रदूषण की समस्या आए दिन बनी रहे थे हैंअगर हम प्रदूषण की समस्या से निजात पाना चाहते हैं तो हमको इस बात का सही तरीके से अनुमान होना चाहिए कि जो हमारे शहर से कचरा निकलता है उसको उस जगह पर एकत्रित किया जाए जहां पर आसपास कोई भी बस्ती ना हो या ना ही कोई शुद्ध जल का स्त्रोत जिससे वहां पर जाकर मिल सके