राजस्थान के प्रमुख व्यक्तित्व - Rajasthan Ke Pramukh Vyaktitva
राजस्थान के प्रमुख व्यक्तित्व - आपकी अपनी Rajasthan Gk वेबसाईट G Publications में आपका स्वागत है आज हम Rajasthan Gk का महत्वपूर्ण टॉपिक Rajasthan Ke Pramukh Vyaktitva जुड़े प्रश्न एवं quiz आपको आज बताने वाले है
Rajasthan Ke Pramukh Vyaktitva
इस प्रकार के प्रश्न राजस्थान के सभी competition exam में Rajasthan Ke Pramukh Vyaktitva जुड़े प्रश्न पूछे जाते है जैसे Rajasthan BSTC 2022 Exam, CTET, PTET, RPSC 1st GRADE, एवं 2nd GRADE, police constable exam, VDO, UPTET, REET, RAS, PTET आदि परीक्षाओ में पूछे जाते है |
राजस्थान के प्रमुख व्यक्तित्व
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Rajasthan ke pramukh vyaktitva |
अमरचन्द बांठिया
- 1857 की क्रांति का भामाशाह कहे जाने वाले अमरचंद बांठिया का जन्म बीकानेर में हुआ था और इनका कर्म स्थल ग्वालियर मध्य प्रदेश था
- यह ग्वालियर के सिंधिया राजघराने के कोषाध्यक्ष के रूप में नियुक्त थे |
- अमरचन्द बांठिया (Amar Chand Bathia)के द्वारा 1857 की क्रांति के दौरान ग्वालियर राजघराना लूटकर तात्या टोपे और लक्ष्मी बाई की आर्थिक सहयोग किया जिसके कारण राजद्रोह के आरोप में ग्वालियर के सराफा बाजार में नीम के पेड़ के नीचे लटका कर फांसी दे दी गई
- अमरचंद बांठिया को राजस्थान का प्रथम शहीद हुआ राजस्थान का मंगल पांडे कहां जाता है
Note - 1857 की क्रांति के क्रांतिकारियों का भामाशाह जमना लाल बजाज को कहां जाता है जमना लाल बजाज को गांधीजी का पांचवा पुत्र भी कहा जाता है
डूंगजी जवाहर जी
- 1857 की क्रांति के समय नसीराबाद व नीमच छावनी लूटने वाले जवाहर जी और डूंगर जी थे
- निम्न वर्ग के लोग जवाहर जी और डूंगर जी को अपना देवता मानते थे
- उनका जन्म नीमकाथाना बटोट सीकर में हुआ था |
- जवाहर जी डूंगर जी का वास्तविक नाम बलजी - भूरजी था
Note - संपूर्ण राजस्थान में सशस्त्र क्रांति के जनक जवाहरजी - डूंगरजी को माना जाता है
सागरमल गोपा
- सागरमल गोपा का जन्म ब्राह्मण समाज में हुआ था एवं इनका जन्म जैसलमेर में हुआ था
- सागरमल गोपा के समय जैसलमेर का शासक जवाहर सिंह था जैसलमेर में बढ़ते अत्याचारों के विरुद्ध सागरमल गोपा के द्वारा गुंडाराज जैसलमेर नामक पुस्तक लिखी गई जिसके कारण जैसलमेर की शासक जवा सिंह के कहने पर सागरमल गोपा को जेल में कैद कर दिया गया
- सागरमल गोपा को जेल में कई यातना देने की बात जिंदा जलाया गया
- सागरमल गोपा के द्वारा जेल में रहते हुए आजादी के दीवाने नामक पुस्तक लिखी
- गोपा हत्याकांड की जांच हेतु गोपाल पाठक आयोग का गठन किया गया एवं गोपाल पाठक आयोग ने इस हत्याकांड को आत्महत्या बताया
- वर्धा से प्रकाशित होने वाला समाचार पत्र राजस्थान केसरी को सागरमल गोपा ने सहयोग किया था |
अर्जुन लाल सेठी
- अर्जुन लाल सेठी का जन्म 9 सितम्बर 1880 में जयपुर के जैन परिवार में हुआ था
- इनकी उच्च स्तरीय शिक्षा इलाहाबाद से प्राप्त की गई थी
- इनके द्वारा चोमू जिलाधीश का पद ठुकराया गया था
- काकोरी कांड के मुख्य आरोपी अशफाक उल्ला खां को शरण अर्जुन लाल सेठी के द्वारा दी गई थी
- सन 1905 में जैन प्रचारिणी सभा / जैन वर्धमान विद्यालय / जैन प्रचारक सभा का गठन इन्हीं के द्वारा किया गया था
- जैन प्रचारक सभा का अध्यक्ष या अध्यापक विष्णु दत्त को नियुक्त किया गया था इस विद्यालय में सशस्त्र क्रांतिकारियों को प्रवेश दिया जाता था
- प्रताप सिंह बारहठ एवं जवाहर सिंह बारहठ इन्हीं के शिष्य थे
- अर्जुन लाल सेठी को कैदकर वेल्लोर कर्नाटक में रखा गया था
केसरी सिंह बारहठ
- इनका जन्म - 21 नवम्बर, 1872 में देवपुरा गांव शाहपुरा तहसील जिला भीलवाड़ा में हुआ था
- मेवाड़ में सशस्त्र क्रांति का जनक केसरी सिंह बारहठ को माना जाता है
- महाराणा फतेह सिंह को चेतावनी रा चूंगट्या नामक सोरठे केसरी सिंह बारहठ ने भेंट कर लॉर्ड कर्जन के सम्मेलन में जाने से रोका था
- केसरी सिंह बारहठ को हजारीबाग ( बिहार ) जेल में रखा गया था
- केशरी सिंह का पूरा परिवार क्रान्तिकारी था जिनके कारण इन्हें राजस्थान केसरी नाम की उपाधि मिली थी
- केसरी सिंह की म्रत्यु कोटा में 14 अगस्त 1941 में हुई थी
- केसरी सिंह बारहठ के द्वारा निम्न रचनाए लिखी गयी थी - प्रताप चरित्र , राजसिंह चरित्र , रूठी रानी , दुर्गा दास चरित्र
- केसरीसिंह बारहठ के द्वारा अपनी बेटी चंद्रामणि को झेल में रहते हुए निम्न कथन कहा गया था - तुम्हे पता है देश की आजादी के राजसूय यज्ञ में तुमारे परिवार जनों की आहुति से ही देश के इस बड़े भू भाग में क्रांति संभव हो सकी है |
- प्रताप सिंह 12 मिनट की शहादत पर केसरी सिंह बारहठ ने कहा था कि “ आज एक और धरती पुत्र भारत मां को आजाद कराने हेतु शहीद हुआ “
मोतीलाल तेजावत
- मोतीलाल तेजावत का जन्म कोल्यारी गांव उदयपुर में ओसवाल परिवार में हुआ था
- मोतीलाल तेजावत के द्वारा मातृकुंडिया नामक स्थान से एक ही एवं बहुत आंदोलन की शुरुआत की गई थी
- इनके द्वारा भीलो की जन जागृति हेतु 1916 में वनवासी संघ की स्थापना की गई थी
- मोतीलाल तेजावत के काल में 1921 में रोहिडा कांड एवं 1922 नीमड़ा हत्याकांड हुआ था
- महात्मा गांधी के कहने पर तेजावत आंदोलन से अलग हुए थे
- मोतीलाल तेजावत को भीलो का मसीहा कहां जाता है
- मेवाड़ की पुकार - मोतीलाल तेजावत का 21 सूत्री मांग पत्र था ( जिसमें 18 मांगे मानी गई थी )
हीरालाल शास्त्री
- इनका जन्म 24 November 1899 में जोबनेर जयपुर में हुआ था
- हीरालाल शास्त्री राजस्थान की प्रथम मनोनीत मुख्यमंत्री थे
- हीरालाल शास्त्री व मिर्जा इस्माइल के बीच जैंटलमैन एग्रीमेंट 1942 में हुआ था
- प्रत्यक्ष जीवन शास्त्र हीरालाल शास्त्री की आत्मकथा है
प्रताप सिंह बारहठ
- इनका जन्म 24 मई 1893 उदयपुर में हुआ था
- प्रताप सिंह बारहठ केसरी सिंह के पुत्र थे
- सशस्त्र क्रांति के आरोप में प्रताप सिंह बारहठ को गिरफ्तार कर लिया गया और बरेली जेल में कैद कर रखा गया
- प्रताप सिंह बारहठ के द्वारा प्रताप विजय नामक ग्रंथ लिखा गया था
- ठाकुर प्रताप सिंह बारहठ को क्लीवलैंड के द्वारा कई प्रकार से यातनाये दी गई और जब क्लीवलैंड ने कहा था की हे प्रताप तेरी माँ घर पर रो रही है उसे क्यों दुखी कर रहा था तब वीर क्रान्तिकारी प्रताप सिंह बारहठ ने कहा ' मेरी मां रोती है तो रोने दो मैं मेरी मां को हंसाने के लिए सैकड़ों माताओं को नहीं रूला सकता "
- क्लीवलैंड के द्वारा प्रताप सिंह बारहठ के लिए कहा था की " मैंने इतना पत्थर दिल इंसान मेरी जिंदगी में नहीं देखा '
जोरावर सिंह बारहठ
- जोरावर सिंह बारहठ का जन्म 12 सितम्बर 1883 उदयपुर में हुआ था
- जोरावर सिंह बारहठ केसरी सिंह बारहठ के भाई थे एवं प्रताप सिंह बारहट के चाचा थे
- इनकी शिक्षा - जैन वर्धन पाठशाला जयपुर में हुई थी
- इनके द्वारा सन 1912 में लॉर्ड हार्डिंग पर बम फेंका गया था जिसमे लॉर्ड होर्डिंग तो बच गया था पर उसका अंग रक्षक महावीर मर गया था
- जोरावर सिंह बारहठ कुछ समय दिल्ली जेल में रहते हैं इसकी परीक्षा उन्हें रिहा कर दिया जाता है
- जोरावर सिंह बारहठ आजीवन फरार रहे यह एक मात्र क्रान्तिकारी थे जो कभी पकडे नहीं गए इनकी मृत्यु 1939 हुई थी
- जोरावर सिंह बारहठ को राजस्थान का चंद्रशेखर आजाद कहा जाता है
कांतिलाल गोसाई
- 1857 की क्रांति के समय पर्यावरण रक्षा का प्रचार प्रसार करने के कारण इसे पर्यावरण क्रांति का जनक कहा जाता है
- कांतिलाल गोसाई का स्मारक मंडोर में स्थित है
Note - 1857 की क्रांति के समय राजस्थान में सर्वाधिक क्रांतिकारियों का आना-जाना अजमेर में लगा रहता था
भोगीलाल पांड्या
- वागड़ के गांधी कहे जाने वाले भोगीलाल पांड्या का जन्म - 1904 में सीमलवाडा डूंगरपुर जिले में हुआ था
- पांड्या को 1975 में पद्मा विभूषण से नवाजा गया था
- पांड्या के द्वारा वागड़ सेवा मंदिर नामक एक संस्था की स्थापना की गई थी जिसको पांड्या ने बाद में बदल कर इसका नाम सेवा संस्थान रखा था
- डूंगरपुर प्रजामंडल की स्थापना 1944 में भोगीलाल पंड्या के द्वारा की गई थी
- डूंगरपुर में वनवासी सेवा संघ की स्थापना 15 मार्च 1938 में पांड्या के द्वारा की गई थी
- भोगीलाल पांड्या सागवाड़ा तहसील के विधायक भी बने और 1957 तक टीकाराम पालीवाल के मंत्रिमंडल में चिकित्सा मंत्री और उद्योग मंत्री भी रहे
रामनारायण चौधरी
- रामनारायण चौधरी का जन्म 1 अगस्त 1896 में नीम का थाना सीकर में हुआ था
- चौधरी के द्वारा बेंगू किसान आंदोलन का नेतृत्व किया गया था
- इनकी शिक्षा महाराजा कॉलेज जयपुर से हुई थी
- रामनारायण चौधरी के द्वारा 1932 में हरिजन सेवा संघ का कार्यभार संभाला गया था
- रामनारायण चौधरी गांधीवादी विचारधारा रखने वाले एवं सामान्य जिंदगी जीने वाले सामाजिक व्यक्ति थे इनका निधन अजमेर में हुआ
नरोत्तम लाल जोशी
- इनका जन्म 29 जनवरी 1952 में झुंझुनू में हुआ था
- यह राजस्थान विधान सभा के प्रथम अध्यक्ष भी रहे
- इनके द्वारा शेखावाटी आंदोलन का नेतृत्व किया गया था
- नरोत्तम लाल जोशी 1945 में संविधान निर्माण समिति के अध्यक्ष रहे
गोकुलभाई भट्ट
- इनका जन्म 19 फरवरी 1898 को हाथल गांव सिरोही में हुआ था
- गांधीवादी विचारधारा रखने के कारण गोकुलभाई भट्ट को राजस्थान का गांधी भी कहा जाता है
- गोकुलभाई भट्ट के द्वारा 1946 में सिरोही प्रजामंडल की स्थापना की
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मुझे पूरी उम्मीद है आपने हमारे द्वारा दी गई जानकारी Rajasthan Ke Pramukh Vyaktitva को ध्यान से पढ़ा और आप इसे सही से समझ गए होंगे क्युकी राजस्थान के प्रमुख व्यक्तित्व हमेशा से ही राजस्थान सामान्य ज्ञान ( Rajasthan important GK ) का महत्वपूर्ण भाग रहा है