राजस्थान की स्थापत्य कला - Rajasthan ki sthaptya Kala

जानिए स्थापत्य कला किसे कहते हैं -  स्थापत्य शब्द मूल रूप से संस्कृत भाषा का शब्द है जिसका शाब्दिक अर्थ स्थापित करना होता है | जैसे दुर्ग, महल, मंदिर, चबूतरे आदि का निर्माण करना यही स्थापत्य कला कहलाता है


राजस्थान की स्थापत्य कला


दुर्ग -  विश्व में दुर्गों के सबसे पहले उसे सिंधु घाटी सभ्यता से खोजे गए हैं


भारत में सर्वाधिक दुर्गु वाला राज्य महाराष्ट्र है इसके बाद दूसरे नंबर पर मध्यप्रदेश आता है एवं तीसरे नंबर पर राजस्थान आता है


राजस्थान में सर्वाधिक दुर्ग जयपुर जिले में एवं सबसे न्यूनतम दुर्ग चूरु जिले में माने जाते हैं


दुर्ग किसे कहते हैं


ऐसी इमारत जिसमें किसी राज्य का राज्य कार्य संचालित होता हो एवं वह इमारत उस राज्य की सुरक्षा करने हेतु पर्याप्त सभी मानक को पूरी करती हैं ऐसी इमारत को दुर्ग कहां जाता है


किला किसे कहते हैं


साधारण दुर्ग नुमा आकृति या ऐसी इमारत जिसमें सुरक्षा की दृष्टि से पर्याप्त इंतजाम नहीं होते हैं वह किला कहलाता है


गढ़ किसे कहते हैं


किले एवं दुर्ग की बीच की स्थिति की इमारत गढ़ कहलाती है


राजस्थान के कुल 6 दुर्ग विश्व विरासत में ( UNESCO ) जून 2013 में शामिल किए हैं जो निम्न है 


  1.  गागरोन दुर्ग

  2.  रणथंबोर दुर्ग

  3.  जैसलमेर दुर्ग

  4.  चित्तौड़गढ़ दुर्ग

  5.  कुंभलगढ़ दुर्ग

  6.  आमेर का दुर्ग


राजस्थान में सर्वाधिक विदेशी आक्रमण भटनेर दुर्ग पर हुए हैं एवं राजस्थान में सबसे सर्वाधिक स्वदेशी आक्रमण तारागढ़ अजमेर दुर्ग पर हुए हैं


राजस्थान का अजय दुर्ग लोहागढ़ भरतपुर को कहा जाता है


राजस्थान का सर्वाधिक बुर्जो  वाला किला जैसलमेर किला है


राजस्थान में दो लिविंग फोर्ट है जिसमें सबसे पहला चित्तौड़गढ़ है एवं दूसरा जैसलमेर है


लिविंग फोर्ट किसे कहते हैं


ऐसा दुर्ग या किला जिसमें राजा के साथ-साथ प्रजा भी निवास करती हैं ऐसे दुर्ग या किले को लिविंग फोर्ट के नाम से जाना जाता है यह राजस्थान में दो है जिसमें पहले नंबर पर चित्तौड़गढ़ दुर्ग आता है एवं दूसरे नंबर पर जैसलमेर का किला आता है


राजस्थान का सबसे प्राचीन दुर्ग भटनेर दुर्ग माना जाता है एवं सबसे प्राचीन दुर्ग लोहागढ़ भरतपुर को माना जाता है


लोहागढ़ भरतपुर एवं भटनेर दुर्ग हनुमानगढ़ यह दोनों दुर्ग मिट्टी से निर्मित दुर्ग है इस कारण से इन्हें मिट्टी के दुर्ग भी कहा जाता है


शुक्र नीति के अनुसार दुर्गों की कोई 9 श्रेणियां होती है


  1.  गिरी दुर्ग

  2.  एरण दुर्ग

  3.  पारीख दुर्ग

  4.  पारिध दुर्ग

  5.  धानवन दुर्ग

  6. औदुक या जल दुर्ग

  7.  वन दुर्ग

  8. सैन्य दुर्ग

  9.  सहाय दुर्ग


शुक्र नीति के अनुसार दुर्गों की प्रमुख श्रेणियां एवं उनके संबंधित जानकारियां


गिरी दुर्ग -  ऐसे दुर्ग जो पहाड़ी पर स्थित होते हैं ऐसे दुर्गों को गिरी दुर्ग कहां जाता है जैसे चित्तौड़गढ़ दुर्ग 


एरण दुर्ग - ऐसा दुर्ग जहां तक पहुंचने का रास्ता बेहद कठिन एवं परिश्रम से भरा हुआ होता है एवं रास्ता बेहद दुर्लभ होता है ऐसे दुर्गों को एरण दुर्ग की श्रेणी में रखा जाता है जैसे सिवाना का दुर्ग


पारीख दुर्ग - ऐसे दुर्ग जिसके चारों तरफ खाई हो ऐसे दुर्गों को पारीख दुर्ग कहां जाता है जैसे लोहागढ़ भरतपुर का दुर्ग


पारिध दुर्ग - ऐसा दुर्ग जो चारों तरफ से दीवार से ढका हुआ हो या जिसकी आसपास बड़ी ऊंची दीवारें हो ऐसे दुर्ग को पारिध दुर्ग कहा जाता है जैसे कुंभलगढ़ का दुर्ग


धानवन दुर्ग - ऐसा दुर्ग जो समतल भूमि या रेत के टीलो पर निर्मित हो ऐसे दुर्ग को धानवन दुर्ग कहा जाता है |


औदुक या जल दुर्ग - ऐसा दुर्ग जो चारो तरफ से पानी गिरा हुआ होता है इसे प्रकार के दुर्ग को औदुक दुर्ग या जल दुर्ग कहा जाता है जैसे - गागरोंन का दुर्ग 


Q.1 राजस्थान के गिरी दुर्ग कौन कौन से हैं?

Ans - राजस्थान में निम्न दुर्ग गिरी यानि की पहाड़ी दुर्ग है 

  • जैसलमेर का जैसलमेर दुर्ग

  • चित्तौड़गढ़ का चित्तौड़गढ़ दुर्ग

  • झालावाड़ का गागरौन दुर्ग

  • जयपुर का आमेर दुर्ग

  • कुम्भलगढ़ का कुम्भलगढ़ दुर्ग

  • सवाई माधोपुर का रणथंभोर दुर्ग


Q.2 राजस्थान का सबसे प्रसिद्ध जल दुर्ग कौन सा है?

Ans - राजस्थान के झालावाड जिले में स्थित गागरोन का दुर्ग राजस्थान का प्रसिद्ध जल दुर्ग है यह एक औदुक या जल दुर्ग में आता है और यह यह काली सिंध नदी एवं आहु नदी के संगम पर स्थित है दुर्ग है और यह पूरी तरह से चारो और से जल से गिरा हुआ है।

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